कुलथी दाल ( कुर्थी या गहत दाल )
- कुलथी दाल लाल एवं भूरे रंग की गर्म तासीर वाली औषधीय दाल होती है |
- इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , खनिज , मिनरल्स , फाइबर , कैल्शियम , आयरन व फास्फोरस होता है |
- प्रमुखता से इसका प्रयोग गुर्दे और मूत्राशय से पथरी को गलाने में किया जाता है | एक गिलास पानी में 20 ग्राम कुलथी डालकर रात भर भीगने दें | प्रातः इस पानी को खाली पेट पी लें , फिर उसी कुलथी में उतना ही पानी डालें और उसे दोपहर में पी लें | दोपहर में कुलथी का पानी पीने के बाद पुनः उतना ही नया पानी डालें और इस पानी को शाम को पी लें | शाम को कुलथी का पानी पीने के बाद बचे दानों का प्रयोग न करें | इस प्रक्रिया को महीने भर करने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है |
- कुलथी का प्रयोग सामान्य दाल की तरह भी कर सकते हैं | इस तरह से भी पथरी गल कर बाहर निकल जाती है |
- कुलथी दाल एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध होने के कारण मधुमेह के जोखिम को भी कम करने में मददगार होती है |
- कुलथी दाल प्रोटीन से युक्त होने के कारण ,रक्त में कोलेस्ट्रोल को भी कम करने में सहायक है |
- कुलथी दाल का पानी सर्दी-खांसी से भी छुटकारा दिलाने में कारगर होता है |